पारस्परिक निर्भरता
- पारस्परिक निर्भरता क्या है ?
- समुदाय को पारस्परिक निर्भरता की आवश्यकता क्यों होती हैं ?
- नगरीय व ग्रामीण क्षेत्रों के लोग आपस में किस प्रकार एक-दूसरे पर निर्भर है ?
- नागरिक जीवन में परस्पर निर्भरता का क्या महत्व है ?
हमारी नयी वेबसाइट पर जुड़ने के लिए यहाँ क्लिक करें - Click Here
मनुष्य को जब विविधता का ज्ञान हुआ, उदाहरण के लिए भोजन में विभिन्न खाद्य वस्तुओं को पकाने के भिन्न ढंग, स्वाद में भिन्नता, आवास हेतु झोपड़ी या मकानों में भिन्नता तथा कपड़ों में विविधता आई तो प्रत्येक व्यक्ति को स्वयं ही ये सब जुटाना कठिन पड़ने लगा ! साथ ही विशेष चीजों में रुचि पैदा हुई और वह वस्तु उसे आवश्यक लगने लगी ! यह आवश्यकता उसे दूसरों के करीब ले गई तथा अपनी आवश्यकता व रुचियों की पूर्ति के लिए वह एक दूसरे पर निर्भर हो गया !
हमारी नयी वेबसाइट पर जुड़ने के लिए यहाँ क्लिक करें - Click Here
गाँव व शहर के मध्य निर्भरता
भारत में लगभग 65-70 प्रतिशत लोग आज भी कृषि के व्यवसाय से जुड़े हुए है ! हम अपनी अधिकांश आवश्यकताओं को पूर्ण करने के लिए कृषि पर निर्भर है ! शहरी क्षेत्र अत्यधिक तकनीकी विकास के बावजूद भी कच्चे माल के लिए ग्रामीण क्षेत्रों में उत्पादित वस्तुओं जैसे- अनाज, सब्जियों, फल, दूध आदि के लिए गाँव निर्भर रहते है ! इसी प्रकार ग्रामीण क्षेत्र खेती संबंधी वस्तुओं जैसे-खाद, बीज, दवाई, उन्नत मशीनें, कृषि यंत्र एवं दैनिक उपयोग की वस्तुओं आदि के लिए कारखानों व शहरों पर निर्भर रहते है ! इस प्रकार गाँव और शहरों में पारस्परिक निर्भरता बनी हुई है !
एक क्षेत्र की दूसरे क्षेत्र पर निर्भरता-
गाँव से बहुत सी वस्तुएँ शहर के लिए जाती हैं और शहर से बहुत सी वस्तुएँ गाँव में पहुँचती हैं ! इसके अलावा कई दूसरी चीजें अलग-अलग क्षेत्रों से शहर में पहुँचती है और वहाँ से दूसरे गाँव तक ले जाई जाती हैं ! इस तरह एक क्षेत्र बहुत दूर-दूर के अन्य क्षेत्रों से जुड़ जाता है !
हमारी नयी वेबसाइट पर जुड़ने के लिए यहाँ क्लिक करें - Click Here
एक क्षेत्र पर निर्भर है ! इस बात को आप अपने गाँव या शहर के अनुभव से जान सकते हैं ! किसी एक क्षेत्र में सभी प्रकार की चीजें उपलब्ध नहीं होतीं ! जैसे एक क्षेत्र में सभी प्रकार की फसलें नहीं उगाई जा सकतीं ! इसी तरह अलग-अलग क्षेत्रों में अलग-अलग वस्तुएँ बनाई जाती हैं ! जेसे साबुन कहीं बनता है तो खाद कहीं और बनती है ! इसलिए एक क्षेत्र से दूसरे क्षेत्र में चीजों को मंगवाना जरूरी हो जाता है ! इस प्रकार एक क्षेत्र दूसरे पर निर्भर हो जाता है ! इसी प्रकार दो अलग-अलग क्षेत्रों में बसे शहरों के बीच भी परस्पर निर्भरता पाई जाती है !
दो देशों के मध्य निर्भरता-
इसी प्रकार किसी एक देश में सभी आवश्यकता की चीजें उपलब्ध नहीं होती या कम मात्रा में होती हैं, इसलिए उन्हें दूसरे देशों से मंगाना पड़ता है ! हम अपने देश का ही उदहरण लें तो यहां पेट्रोलियम पदार्थ (पेट्रोल, डीजल, मिट्टि का तेल), सेना के उपयोग के लिए आधुनिक उपकरण, हथियार आदि दूसरे देशों से मंगाए जाते हैं ! हमारे देश से मसाले, चाय, सीमेंट, तैयार कपड़े आदि दूसरे देशों को भेजे जाते हैं !
हमारी नयी वेबसाइट पर जुड़ने के लिए यहाँ क्लिक करें - Click Here
नागरिक जीवन में परस्पर निर्भरता-
हम सब भारत के निवासी हैं ! भारत में जन्म लेने एवं यहाँ के निवासी होने के कारण हम सब भारत के नागरिक हैं ! आप अपने परिवार के साथ रहते हैं, आपके माता-पिता भी साथ रहते हैं, आपके भाई-बहन, दादा-दादी भी आपके साथ रहते होंगे ! आपके परिवार के सभी सदस्य एक-दूसरे के साथ सहयोग करते हैं ! आपके घर के आसपास और भी परिवार रहते हैं ! वे भी कई प्रकार से आपकी सहायता करते होंगे, आप भी उनकी सहायता करते होंगे ! विद्यालय में भी प्रधानाध्यापक, शिक्षक, भृत्य, मॉनीटर आदि सभी विद्यालय चलाले में मदद करते हैं ! हम अपने परिवार, पड़ोस, विद्यालय, कस्बों, गाँवों में अनेक प्रकार के कार्य करते हैं ! हम सब एक साथ मिलकर रहते हैं और एक-दूसरे की मदद करते हैं, और एक-दूसरे की मदद करते हैं, इससे हमारा सामाजिक जीवन बेहतर व सुविधाजनक बनता है !
नागरिक जीवन आपसी सहयोग पर निर्भर करता है ! परिवार, विद्यालय, पड़ोस आदि में इस तरह के आपसी सहयोग की आवश्यता पड़ती है ! आपके विद्यालय के भी कुछ नियम होंगे जिनका पालन करना प्रत्येक छात्र तथा शिक्षक छात्र तथा शिक्षक के लिए जरूरी है ! जो काम हमें नियमपर्वक करने होते हैं, हम उन्हें कर्तव्य भी कह सकते हैं ! हमारा नागरिक जीवन परस्पर सहयोग और कर्तव्य पालन पर ही निर्भर है !
हमारी नयी वेबसाइट पर जुड़ने के लिए यहाँ क्लिक करें - Click Here