ग्‍लोब और मानचित्र - ग्‍लोब का उपयोग - मानचित्र की आवश्‍यकता - मानचित्र को कैसे पढ़ें ? -

ग्‍लोब और मानचित्र

  • पृथ्‍वी के प्रतिरूप के रूप में ग्‍लोब को !
  • भूगोल में ग्‍लोब के महत्‍व को !
  • ग्‍लोब के उपयोग को !
  • मानचित्र की आवश्‍यकता व महत्‍व !
  • मानचित्र को पढ़ना !
ब्रह्माण्‍ड में हमारी पृथ्‍वी ही एकमात्र ऐसा ग्रह है, जिस पर जीवन है क्‍योंकि पृथ्‍वी पर जल और वायु दोनों विद्यमान है ! क्‍या आप जानते हो कि पृथ्‍वी का आकार कैसा है? पृथ्‍वी को यदि हम सामान्‍य रूप से देखें तो इसे दूर-दूर तक सपाट रूप में ही देख पाते हैं ! पृथ्‍वी बहुत विशाल है ! इसलिए इतनी बड़ी पृथ्‍वी को हम पृथ्‍वी से ही एक साथ नहीं देख पाते हैं ! लेकिन यदि अंतरिक्ष से पृथ्‍वी को देखें, तो पृथ्‍वी की आकृति या आकार गोलाकार है !
'ग्‍लोब' पृथ्‍वी का एक नमूना अर्थात पृथ्‍वी जैसी आकृति का एक मॉडल है, जो पृथ्‍वी की आकृति का सही-सही प्रतिनिधित्‍व करता है ! ग्‍लोब की सहायता से हम ठीक तरह से जान पाते हैं कि पृथ्‍वी की आकृति गोलाकार है !
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भूगोल में ग्‍लोब का बहुत महत्‍व है क्‍योंकि इसकी मदद से ही हम पृथ्‍वी के आकार, उसके झुकाव, उसकी गति को समझ पाते हें और उससे जुड़ी घटनाओं को समझने का प्रयास करते हैं ! इसके साथ ही हम पृथ्‍वी पर जल और थल के वितरण अर्थात महासागरों और महाद्वीपों के विस्‍तार व पृथ्‍वी पर उनकी स्थिति को देख व समझ पाते हैं !

ग्‍लोब का उपयोग- ग्‍लोब को ध्‍यान से देखते हुए हम निम्‍न बातें जान सकते हैं-
  • पृथ्‍वी का आकार गोलाकार है !
  • पृथ्‍वी अपने अक्ष पर सीधी नहीं है बल्कि कुछ झुकी (231/2 डिग्री) हुई है !
  • पृथ्‍वी ध्रवों पर थोड़ी चपटी है !
  • पृथ्‍वी का अपनी धुरी(कील) पर घूमना !
  • ग्‍लोब पर खीचीं आड़ी व खड़ी रेखाओं की विशेषताएं !
  • ग्‍लोब पर कई रंग दिखाई पड़ते हैं जिसमें नीला रंग सबसे नीला रंग सबसे ज्‍यादा दिखाई देता है ! जो जल भाग को दर्शाता है !
  • पृथ्‍वी पर महाद्वीप, महासागर, द्वीप, प्रमुख पर्वत, देशों इत्‍यादि की स्थिति को जान जाते हैं !
  • पृथ्‍वी पर दिन-रात का होना !

  1. ग्‍लोब : ग्‍लोब पृथ्‍वी का एक नमूना है, जो पृथ्‍वी की आकृति का सही-सही प्रतिनिधित्‍व करता है !
  2. महाद्वीप : पृथ्‍वी के बड़े भू-भाग जिसमें कई देश होते हैं, उसे महाद्वीप कहते हैं ! पृथ्‍वी पर 7 महा‍द्वीप है !
  3. महासागर : पृथ्‍वी पर फैले विशाल जल भाग को महासागर कहते हैं ! पृथ्‍वी पर प्रमुख 4 महासागर है !

मानचित्र की आवश्‍यकता


जब तक हम पूरी पृथ्‍वी की बात करते हैं तब तक ग्‍लोब हमारे लिए बहुत उपयोगी होता है ! लेकिन ग्‍लोब के उपयोग की कुछ सीमाएं भी हैं ! जब हम पृथ्‍वी के किसी स्‍थान विशेष या छोटे भाग का अध्‍ययन करना चाहे जैसे देश, जिले, शहर या गांव की जानकारी प्राप्‍त करना चाहें तब हमें मानचित्र की आवश्‍यकता पड़ती है क्‍योंकि मानचित्र की सहायता से हम किसी भी भू-भाग का भलीभंति पठन-पाठन कर सकते हैं ! इस प्रकार- गोलाकार पृथ्‍वी अथवा उसके किसी भू-भाग का मापन के अनुसार समतल सतह पर चित्रण मानचित्र कहलाता है !

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मानचित्र शब्‍द की उत्‍पत्ति लेटिन भाषा के शब्‍द 'मेप्‍पा' से हुर्ई है ! जिसका शाब्दिक अर्थ है मेजपोश या रूमाल ! मध्‍यकाल में संसार का चित्र कपड़े पर बनाये जाते थे ! अंग्रेजी भाषा का 'मेप' शब्‍द लेटिन भाषा मेप्‍पा का ही अपभ्रंश है ! अंग्रजी शब्‍द मेप को हिन्‍दी में मानचित्र कहते हैं !
इसी तरह संसार के विभिन्‍न छोटे-छोटे भागों के मानचित्र भी होते हैं ! किसी गांव या शहर के एक छोटे हिस्‍से का भी मानचित्र होता है जैसे आप अपने गांव के मानचित्र को पटवारी के पास देख सकते है !

मानचित्र को कैसे पढ़ें ?


जिस तरह हम पुस्‍तक पढ़ते हैं ! पुस्‍तकों को पढ़कर अनेक जानकारी प्राप्‍त करते हैं ! ठीक उसी तरह मानचित्र को पढ़ा व समझा जाता है ! मानचित्र मुख्‍यत: चार बिंदुओं के आधार पर पढ़ा व बनाया जा सकता है- शीर्षक, दिशा, रुढ़चिह्न और मापक ! मानचित्र इस प्रकार बनाया जाता है जैसे हम पृथ्‍वी या उसके उस हिस्‍से को, जिसका मानचित्र बना रहे हैं, ऊपर से देख रहे हैं !

शीर्षक- प्रत्‍येक मानचित्र का एक शीर्षक होता है, जो यह बताता है कि मानचित्र विश्‍व या विश्‍व के किस भू-भाग का है ! उपर्युक्‍त मानचित्र का शीर्षक 'भारत' है अर्थात यह भारत देश का मानचित्र हैं ! सामान्‍यत: शीर्षक मानचित्र के दायीं ओर लिखा होता है !
दिशा : यह मानचित्र की दूसरी महत्‍वपूर्ण विशेषता है ! प्रत्‍येक मानचित्र में उत्तर दिशा को तीर के चिन्‍ह द्वारा दिखाया जाता है ! दिशा के बिना पढ़ना मुश्किल होता है ! परम्‍परा के अनुसार उत्तर दिशा मानचित्र के ऊपरी हाशिए की ओर इंगित होता है !
रूढ़चिह्न : मानचित्र में कई विषय वस्‍तुओं, बिंदुओं इत्‍यादि को कुछ पारम्‍परिक चिन्‍हों के द्वारा वर्षों से उपयोग में लाया जाता रहा है ! इन चिन्‍हों को रूढ़ चिन्‍ह कहते हैं !
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मापक : धरातल की वास्‍तविक दूरी को कागज पर आनूपातिक रूप में छोटा या बड़ी, मापक की सहायता से ही दर्शाया जाता है ! उदाहरण के लिए धरातल की वास्‍तविक दूरी 1 कि.मी. को कागज में दर्शाना हो तो मान सकते  हैं 1से.मी.= 1कि.मी. ! हर मानचित्र में पैमाना (मापक) अलग हो सकता है ! प्रत्‍येक मानचित्र में मापक शीर्षक के नीचे या फिर मानचित्र में नीचे की ओर लिखा जाता है ! इस प्रकार पैमाने के अनुसार मानचित्र में किन्‍हीं दो स्‍थानों की दूरी को मापक से मापकर उन्‍हीं दो स्‍थानों की धरातल पर वास्‍तविक दूरी को जान सकते हैं !



इसके अलावा मानचित्र में रंगों का उपयोग भी किया जाता है ! जल भाग को नीले रंग से दर्शाया जाता है, पहाड़ी भाग को भूरे रंग से दर्शाया जाता है और मैदान को हरे रंग से दर्शाया जाता है, आदि !



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2 comments

September 10, 2021 at 9:51 AM

!!! हमेशा मत डाला कीजिये

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