अक्षांश एवं देशान्तर रेखाएं
- अक्षांश व देशान्तर रेखाएं क्या है, व उनकी विशेषताएँ कौन-कौन सी है ?
- अक्षांश व देशान्तर रेखाओं की आवश्यकता और उपयोगिता क्या है ?
- अक्षांश व देशान्तर रेखाओं की सहायता से पृथ्वी पर किसी स्थान की स्थिति कैसे ज्ञान करते हैं ?
ग्लोब और मानचित्र पर बहुत सी रेखाएं खिंची होती है ! कुछ रेखाएं खड़ी होती है और कुछ आड़ी ! ये रेखाएं एक-दूसरे को काटती भी है, और ग्लोब पर जाल सा बनाती है ! वास्तव में ये रेखाएं काल्पनिक है ! पृथ्वी पर ऐसी कोई रेखाएं खिचीं हुई नहीं हैं ! पृथ्वी पर किसी स्थान की ठीक-ठीक स्थिति दर्शाने के लिए ये रेखाएं ग्लोब एवं मानचित्र पर खींची गयी हैं ! इन रेखाओं की मदद से हम किसी गांव, नगर, देश या किसी स्थान की भौगोलिक स्थिति को आसानी से जान सकते हैं ! रेखाओं के इस जाल को समझने के लिए हमें ग्लोब पर दो बिन्दूओं को देखना होगा ! एक बिन्दू ग्लोब के ठीक ऊपर की ओर होता है ! जिसे हम उत्तरी ध्रुव कहते हैं और दूसरा एकदम नीचे की ओर होता है जिसे दक्षिणी ध्रुव कहते हैं ! यदि हम ग्लोब को ध्यान से देखें तो हमें इन दोनों ध्रुवों के बीचों बीच एक वृत खींचा हुआ दिखाई देता है ! जिसे भूमध्य रेख या विषुवत वृत्त कहते हैं ! यह वृत्त पृथ्वी को दो बराबर भागों में बांटता है ! इस वृत्त के उत्तर वाले भाग को उत्तरी गोलार्द्ध एवं दक्षिण वाले भाग को दक्षिणी गोलाद्ध कहते हैं !
अक्षांश रेखाएं- भूमध्य रेखा के समानान्तर खींचे हुए वृत्तों या आड़ी रेखाओं को अक्षांश वृत्त अथवा अक्षांश रेखाएं कहते हैं ! भूमध्य रेखा के केंद्र बिन्दु से प्रत्येक अंश पर एक-एक वृत्त खींचे गये हैं व उनके सामने उ. एवं द. लिखा जाता है जिसका अर्थ क्रमश: उत्तरी एवं दक्षिणी अक्षांश होता है ! इस तरह 90 अक्षांश उत्तरी गोलार्द्ध में और 90 अक्षांश दक्षिणी गोलार्द्ध में खींचे है ! इस प्रकार कुल 180 अक्षांश वृत्त या रेखाएं ग्लोब पर खींची गयी है ! ग्लोब पर खिंचे हुए सभी वृत्तों में विषुवत वृत्त या विषुवत रेखा सबसे बड़ा वृत्त है ! उत्तरी गोलार्द्ध में उत्तरी अक्षांश वृत को कर्क वृत या कर्क रेखा कहते है ! यह वृत हमारे देश के गुजरात, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, पश्चिम बंगाल, त्रिपुरा व मिजोरम आदि राज्यों में होकर गुजरता है ! इसी प्रकार दक्षिणी गोलार्द्ध में 231/2° दक्षिणी आक्षंश वृत्त को मकर वृत या मकर रेखा कहते है!
- पृथ्वी अपने अक्ष पर 231/2° झुकी हुई है, इस कारण पृथ्वी पर 231/2° उत्तरी तथा दक्षिणी अक्षांश तक ही सूर्य वर्ष में एक बार सीधा चमकता है ! इस अक्षांश से उत्तरी ध्रुव तथा दक्षिणी ध्रुव तथा सूर्य कभी भी सीधा चमकता है ! इस अक्षांश से उत्तरी ध्रुव तथा दक्षिणी ध्रुव तथा सूर्य कभी भी सीधा नहीं चमकता ! यही कारण है कि कर्क रेखा एवं मकर रेखा का निर्धारण 231/2° पर किया गया है !
- भूमध्य रेखा के समानान्तर खीचें हुए वृत्तों या आड़ी रेखाओं को अक्षांश वृत या रेखाएँ कहते हैं ! इनकी कुल संख्या 180 है !
अक्षांश रेखाओं की विशेषताएं :-
- ये रेखाएं पूर्व से पश्चिम दिशा में विषुवत रेखा के समानान्तर खींची जाती है !
- ये पूर्ण वृत्ताकार होती है !
- दो अक्षांशों के बीच की दूरी समान होती है !
- विषुवत वृत्त से ध्रुवों की ओर बढ़ने पर वृत्त छोटे होते जाते हैं ! ध्रुव एक बिंदु के रूप में रह जाता है !
- अक्षांश रेखाओं की लंबाई समान नहीं होती है !
- भूमध्य रेखा के उत्तरी क्षेत्र को उत्तरी गोलार्द्ध व दक्षिणी गोलार्द्ध कहते हैं !
देशान्तर रेखाएं :-
किसी भी स्थान की सही स्थिति का पता लगाने के लिए हमें अक्षांश वृत्तों के अलावा कुछ खड़ी रेखाओं का भी सहारा लेना पड़ता है ! ये रेखाएँ ग्लोब या मानचित्र पर उत्तरी तथा दक्षिणी ध्रुव को जोड़ती हैं ! उत्तर से दक्षिण खींची रेखाओं को देशान्तर रेखा कहते हैं ! ग्लोब पर ये रेखाएं उत्तर से दक्षिण की ओर अर्ध वृत्त होती है जबकि मानचित्रों में उत्तर से दक्षिण में सीधी खींची होती है !
मुख्य अक्षांश रेखा (0° भूमध्य रेखा) की तरह ही देशान्तर रेखाओं में भी एक रेखा को प्रधान देशान्तर रेखा माना जाता है ! यह रेखा इंग्लैंड में लंदन के पास स्थित ग्रीनविच वेधशाला से गुजरती है ! इसे ही 0° प्रधान मध्यान्ह रेखा कहते हैं ! अन्य देशान्तर रेखाएँ प्रधान मध्यान्ह रेखा के पूर्व और पश्चिम में खींची गई हैं ! प्रधान मध्यान्ह रेखा पृथ्वी को पूर्वी व पश्चिमी गोलार्द्ध में बांटती है ! प्रधान मध्यान्ह रेखा के दोनों ओर 1° के अंतराल पर खींची गई 180 देशांतर रेखाएँ हैं ! किसी भी प्रकार के भ्रम से बचने के लिए पूर्वी गोलार्द्ध और पश्र्चिमी गोलार्द्ध की देशांतर रेखाओं के साथ क्रमश: 'पू.' तथा 'प.' शब्द लिखा जाता है ! जिसका अर्थ क्रमश: पूर्वी तथा पश्चिमी होता है !
देशान्तर रेखाओं की विशेषताएं-
- देशान्तर रेखाएं अर्द्धवृत्त होती हैं !
- इनकी लंबाई समान होती हैं !
- विषुवत वृत्त पर इनके बीच की दूरी सबसे अधिक होती है, लेकिन जैसे-जैसे हम ध्रुवों की ओर जाते हैं तो देशान्तर रेखाओं के बीच की दूरी कम होती जाती हैं !
- ये रेखाएं प्रधान मध्यान्ह रेखा के दोनों ओर 1° के अंतराल पर खींची गई हैं ! इनकी कुल संख्या 360 हैं !
- पृथ्वी पर किसी स्थान की ठीक-ठीक स्थिति दर्शाने के लिए अक्षांश और देशांतर रेखएं, ग्लोब एवं मानचित्र पर खींची गयी है ! इनकी सहायता से हम पृथ्वी पर किसी भी स्थान की भौगोलिक स्थिति को जान सकते हैं ! ये काल्पनिक रेखाएं हैं !