हड़प्पा सभ्यता
- प्राचीन सभ्यताएँ नदियों के किनारे क्यों विकसित हुई थीं ?
- सिन्धुघाटी सभ्यता/हड़प्पा सभ्यता क्या थी ?
- हड़प्पा सभ्यता के पतन के क्या कारण थे ?
अफ्रीका के उत्तर-पूर्वी भाग में स्थित मिस्त्र की सभ्यता सबसे पुरानी है ! यह नील नदी की घाटी में विकसित हुई ! मेसोपोटामिया की सभ्यता !
मेसोपोटामिया का अर्थ है दो नदियों के बीच का भू-भाग ! ये दो नदियाँ हैं- दजला एवं फरात ! इन नदियों के मध्य विकसित हुई सभ्यता मेमोपोटामिया की सभ्यता कहलाती है ! यह सभ्यता 5000 से 500 र्इ.पू. तक विद्यमान थी ! वर्तमान इराक और ईरान का कुछ क्षेत्र भी इसमें सम्मिलित था ! तीसरी है चीन की सभ्यता ! इसका उदय ह्वांगहो नदी के तट पर (1750 ई.पू. से 220 ई.) हुआ ! चौथी है सिंधु घाटी की सभ्यता जिसका विकास आज से लगभग 4500 वर्ष पूर्व उत्तरी पश्चिम प्रायद्वीप में हुआ जिसका कुछ हिस्सा अब पाकिस्तान में है !
नदी घाटी में मानव सभ्यता के विकास के कारण
लाखों वर्ष तक मानव शिकारी और भोजन संग्राहक का जीवन जीता रहा ! धीरे-धीरे उसने पशुपालन करना सीखा ! कोई दस हजार वर्ष उसने खेती करना प्रारंभ किया ! उसने अपने सैकड़ों वर्षों के अनुभव से यह सीख लिया था कि मिट्टी में बीज डालने और सींचने से पौधा उगता है !
नदियों के किनारे की मिट्टी उपजाऊ होती है ! यहाँ पानी आसानी से मिल जाता है ! नदी से नाव या लट्ठे की सहायता से आवागमन की सुविधा रहती है ! जानवरों के लिए घास तथा जल आसानी से मिल जाता है ! इन सब कारणों से आदि मानव ने नदी की घाटियों में बसना प्रारंभ किया ! तब भी मानव पाषाण उपकरणों का प्रयोग करता था !
लगभग 7000 वर्ष पूर्व ताँबे की खोज ने मानव के जीवन में परिवर्तन कर दिया ! ताँबा कठोर पत्थर की तुलना में अधिक प्रभावकारी था ! टिन के मिश्रण से निर्मित ताँबा पत्थर से भी अधिक मजबूत था ! ताँबे के प्रयोग के कारण मानव पाषाण काल से निकलकर ताम्राश्मकाल (ताँबे व पाषाण) में प्रवेश कर गया !
ताम्राश्मकाल में नदी घाटी सभ्यता का विकास एक लंबे-चौड़े भाग में हुआ ! भारत में इस काल की सबसे पुरानी बस्तियाँ दक्षिण पूर्वी राजस्थान (आहार) मध्यप्रदेश में मालवा में (कायथा और एरण) पश्चिमी महाराष्ट्र में (जोखा, नेवासा व दैमाबाद) में मिली है ! नर्मदा नदी के तट पर नवदा टोली स्थान पर भी ताम्र पाषाणिक अवशेष मिले हैं !
सिन्धु घाटी सभ्यता की खोज
सन् 1921 के पूर्व तक भारत की प्राचीनतम सभ्यता वैदिक सभ्यता ही मानी जाती थी ! सबसे पहले श्री दयाराम साहनी 1921 ई. में हडप्पा में खुदाई आरम्भ कर वहाँ एक नगर के भग्नावशेष प्राप्त किये तत्पश्चात् श्री राखलदास बैनर्जी ने सन् 1922 ई. में सिंध प्रान्त के लरकाना जिले में बौद्ध-स्तूपों की खोज करते हुए कुछ टीलों को खुदवाया, तो वहां भूगर्भ में पक्की नालियाँ और कमरे मिले ! इसके बाद तो इस क्षेत्र में 10 वर्षों तक उत्खनन चला तथा अनक जानकारियाँ प्रकाश में आयीं !
इसी बीच रायबहादुर दयाराम साहनी और माधव स्वरूप वत्स ने हिमालय के तलहटी क्षेत्रों में मानव सभ्यता के प्रमाण खोजे जिसके आधार पर उत्खनन कार्य प्रारंभ हुआ ! खुदाई का कार्य हड़प्पा में शुरू हुआ ! इस कारण इसे हड़प्पा सभ्यता कहा गया ! इसे 'सिन्धु घाटी सभ्यता' भी कहा जाता है !
धीरे-धीरे इस सभ्यता की खोज विभिन्न स्थलों पर हुई ! इसके विस्तार को देखकर पता चलता है कि भौगोलिक दृष्टि से यह विश्व की सबसे बड़ी सभ्यता थी ! इसका क्षेत्र मिस्त्र की सभ्यता के क्षेत्र से 20 गुना अधिक था ! इस सभ्यता का विकास भारत और पाकिस्तान के उत्तरी और पश्चिमी भाग में सिन्धु नदी की घाटी में हुआ ! सिन्धु घाटी के कारण इस सभ्यता को सिन्धु घाटी सभ्यता के नाम से पुकारा गया ! इस सभ्यता का विस्तार पाकिस्तान, दक्षिणी अफगानिस्तान तथा भारत के राजस्थान, गुजरात, जम्मू-काश्मीर, पंजाब, हरियाणा पश्चिमी उत्तर प्रदेश एवं महाराष्ट्र राज्य तक है !
इस सभ्यता के कुछ प्रमुख स्थल ये हैं- मोहनजोदड़ो, हड़प्पा तथा चन्हुदड़ो (पाकिस्तान), रोपड़ (पंजाब), रंगपुर (सौराष्ट्र) लोथल, सुतकोटडा (गुजरात) कालीबंगा (राजस्थान) धौलाबीरा (गुजरात) बणावली, राखीगढ़ी (हरियाणा), मांडा (जम्मू कश्मीर) दैमाबाद (महाराष्ट्र), आलमगीरपुर, हुलास (उत्तरप्रदेश) इत्यादि !
नगरीय जीवन
हड़प्पा सभ्यता की सबसे प्रमुख विशेषता उसकी नगर योजना प्रणाली थी ! नगर अधिकतर दो अथवा तीन भागों में बंटे थे ! सबसे सुरक्षित स्थान किला या दुर्ग कहलाता था ! यहाँ उच्च वर्ग का परिवार रहता होगा ! नगर के निचले भाग में मध्यम व निम्न वर्ग का निवास था ! इन नगरों में सड़कें पूरी सीधी थीं व एक-दूसरे को लंबवत काटती थीं ! नगर अनेक खण्डों में विभक्त होता था जैसा कि आजकल के नगर होते हैं ! हड़प्पा सभ्यता के नगरों में कोठार (अनाज भरने के गोदाम) का महत्वपूर्ण स्थान था ! हड़प्पा तथा कालीबंगा में भी इनके प्रमाण मिले हैं !
मोहनजोदड़ो का सबसे महत्वपूर्ण सार्वजनिक स्थल विशाल स्नानागार हैं ! यह 11.88 मीटर लम्बा, 7.01 मीटर चौड़ा 2.43 मीटर गहरा है ! इसके दोनों सिरों पर तल तक सीढि़याँ बनी हैं ! बगल में कपड़े बदलने के कक्ष हैं ! स्नानागार का फर्श पक्की ईटों का बना है ! पास के एक कमरे में बड़ा सा कुआँ बना है ! संभवत: यह स्नानागार किसी धार्मिक अनुष्ठान संबंधी स्नान के लिए बना होगा !
इसके अलावा भी हर छोटे-बड़े मकान में आंगन (प्रांगण) और स्नानागार होता था ! पर्यावरण की दृष्टि से जल निकास प्रणाली अद्भुत थी ! घरों का पानी बहकर सड़कों तक आता था ! यहाँ यह पानी मुख्य नाली से मिलता जो ईटों व पत्थर की पट्टियों से ढ़ँकी होती थी ! सड़कों की मुख्य नालियों में सफाई की दृष्टि से नरमोखे (मेनहोल) भी बने थे ! उनके द्वारा नालियों की समय-समय पर सफाई की जाती थी ! ताम्राश्म युगीन सभ्यता में हड़प्पा की जल निकास प्रणाली अद्वितीय थी ! विश्व की किसी अन्य सभ्यता में सफाई को इतना महत्व नहीं दिया जाता था जितना की हड़प्पा सभ्यता के लोगों ने दिया ! इस प्रकार हम देखते हैं कि हड़प्पा सभ्यता में पर्यावरण शुद्धि की ओर अधिक ध्यान दिया जाता था !
- हड़प्पा सभ्यता में भवनों के लिए पक्की ईटों का प्रयोग विशेष बात थीं ! समकालीन मिस्र की सभ्यता व मेसोपोटामिया की सभ्यता में इसका प्रचलन नहीं था !
- हड़प्पा निवासी विश्व के प्रथम लोग थे जिन्होंने विस्तृत सड़कों और नालियों से युक्त सुनियोजित नगर का निर्माण किया !
कृषि व पशुपालन
हड़प्पा सभ्यता की जीवन दायिनि नदी सिन्धु थी ! यह नदी अपने साथ भारी मात्रा में उपजाऊ मिट्टी लाती थी ! हड़प्पा सभ्यता के लोग गेहूँ, जौ, सरसों, कपास, मटर तथा तिल की फसलें उगाते थे ! संभवत: किसानों से राजस्व के रूप में अनाज लिया जाता था ! हड़प्पा सभ्यता के विभिन्न नगरों में मिले कोठार (अनाज गोदाम) इसके प्रमाण हैं !
कालीबंगा में पाये गये जुताई के मैदान से प्रतीत होता है कि उनका खेती का तरीका आज की तरह ही था !
हड़प्पा निवासी कृषि के साथ-साथ पशुपालन भी करते थे ! ये बैल-गाय, बकरी, भेड़, सूअर, भैंस, कुत्ता, ऊँट तथा हाथी, घोड़ा पालते थे ! ये सिंह, गेंडा, हंस, बतख, बन्दर, खरगोश, मोर, हिरण, मुर्गा, तोता, उल्लू आदि जानवरों से परिचित थे ! इनमें से कुछ जानवरों की स्वतंत्र आकृतियाँ व कुछ का अंकन मिट्टी की मुहरों पर मिला है !
2 comments
Very nice information sir thanks to share this information.
ReplySindhu Sabhyata Gk In Hindi
अच्छा है सर जी जो आपने विश्व एवं भारतीय इतिहास की पुरानी सभ्यताओं के बारे में जानकारी उपलब्ध करवाए हैं साथ ही तस्वीरों के माध्यम से नगर नियोजन की सुव्यवस्थित तरीके से विकसित सभ्यताओं का मार्ग दर्शन देने का कार्य किया किए हैं
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