सौरमण्डल में हमारी पृथ्वी
- सौरमण्डल से क्या आशय है ?
- आकाशीय पिण्ड एवं आकाश गंगा क्या है ?
- सौरमण्डल के विभिन्न सदस्य एवं उनकी क्या स्थिति हैं ?
- क्या सूर्य एक तारा है ?
- ग्रहों एवं तारों के मध्य क्या अंतर है ?
- पृथ्वी एक जीवित ग्रह क्यों है ?
सौरमण्डल
सूर्य सहित उसके समस्त आकाशीय पिण्डों के समूह को सौरमण्डल कहते हैं ! जैसा आपने सौरमण्डल के चित्र में देखा है ! सौर परिवार में सूर्य के अलावा ग्रह, उपग्रह, क्षुद्रग्रह, धूमकेतू, उल्काएं तथा धूल कण सम्मिलित हैं ! इस प्रकार सूर्य का अपना बहुत बड़ा परिवार है ! सौरमण्डल के चित्र में सूर्य और अन्य ग्रहों के साथ हमारी पृथ्वी की स्थिति को दर्शाया गया है ! आइए सौरमण्डल के बारे में कूछ महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त करें.
सूर्य- यह सौरमण्डल का मुखिया है ! यह सौरमण्डल के केन्द्र में स्थित है ! सभी सदस्य ग्रह, उपग्रह, क्षुद्रग्रह, उल्काएं और धूमकेतु उसकी परिक्रमा करते हैं ! सभी सदस्य सूर्य के प्रकाश से प्रकाशित होते हैं और ऊर्जा प्राप्त करते हैं ! सौरमण्डल के समस्त पदार्थों का लगभग 99 प्रतिशत भाग सूर्य में निहित है ! सूर्य का आकार ही इतना बड़ा है कि ये सब ग्रह मिलकर उसका केवल एक प्रतिशत भाग ढँक पाएंगे !
इतनी विशालता के कारण ही सूर्य में अपार गुरुत्वाकर्षण शक्ति है जिसके कारण सभी ग्रह और उपग्रह निरन्तर उसकी परिक्रमा करते रहते हैं ! सूर्य धधकता हुआ एक विशाल महापिण्ड है ! यह प्रकाश एवं ऊर्जा का भण्डार है ! हमारी पृथ्वी सूर्य से प्रकाश और ऊर्जा प्राप्त करती है ! सूर्य के प्रकाश के कारण ही पृथ्वी पर दिन होता है !
सूर्य से प्रथ्वी की औसत दूरी 15 करोड़ किलोमीटर है ! पृथ्वी तक सूर्य की किरणें 8 मिनिट 19 सेकंड में पहुँचती है !
सूर्य में इतनी विशाल ऊर्जा व प्रकाश कैसे उत्पन्न होता है ? वास्तव में सूर्य एक विशालकाय परमाणु भट्टी की तरह प्रज्ज्वलित है ! वैज्ञानिको ने अध्ययन कर पता लगाया है कि सूर्य कई ज्वलनशील गैसों का जलता हुआ पिंड है जिसमें हाईड्रोजन, हीलियम आदि अनेक गैसें निरंतर जल कर व क्रिया करके ताप एवं प्रकाश करोड़ों वर्षों से उत्पन्न करती आ रही है !
हाइड्रोजन एवं हीलियम दो ज्वलनशील गैसें हैं जो सूर्य के ताप को बढ़ाती है ! अनुमान है कि सूर्य की सतह का तापमान 6000 सेल्सियस तथा केंद्रीय भाग का तापमान 1.5 करोड़ सेल्सियस है !
ग्रह- ऐसे आकाशीय पिण्ड जो अपनी-अपनी कक्षाओं में सूर्य की परिक्रमा करते हैं, ग्रह कहलाते हैं ! प्रत्येक ग्रह की परिक्रमा की अवधि अलग-अलग होती है ! जो ग्रह सूर्य से जितना दूर होगा ! उसकी कक्षा उतनी ही बड़ी होगी तथा उसकी परिक्रमा की अवधि भी उतनी ही अधिक होगी ! सूर्य की परिक्रमा के साथ-साथ सभी ग्रह अपने अक्ष पर भी धूर्णन करते हैं ! सभी ग्रह सूर्य से प्रकाश एवं ऊर्जा प्राप्त करते हैं ! हमारे सौरमण्डल में ग्रहों की संख्या 8 है ! सूर्य से दूरी के क्रम के अनुसार उनके नाम हैं- बुध, शुक्र, पृथ्वी, मंगल, बृहस्पति, शनि, अरुण (युरेनस/हर्षल) और वरुण (नेपच्यून) है ! आकार में सबसे बड़ा ग्रह बृहस्पति और सबसे छोटा बुध है ! इसी प्रकार सूर्य के सबसे निकट का ग्रह बुध तथा सबसे दूर वरुण है ! प्रत्येक ग्रह की जानकारी हम आगे विवरण में जानेंगे,
- सूर्य(सन)- यह एक तारा है इसकी भौतिक स्थिति में ज्वलनशील गैस हाइड्रोजन/हीलियम आदि का जलता हुआ पिंड है इसे ग्रहों का मुखिया भी कहा जाता है !
- बुध(मरकरी)- यह एक ग्रह है इसकी भौतिक स्थिति के अंर्तगत इसे सूर्योदय से पहले और सूर्यास्त के पश्चात देखा जा सकता है ! यह सूर्य के सबसे निकट वाला ग्रह है ! बुध ग्रह को सूर्य की परिक्रमा पूरी करने में 88 दिनों पूर्ण कर लेता है ! अत्यधिक गर्म होने से इस पर जीवन की कोई संभावना नहीं है !
- शुक्र(विनस)- यह भी एक ग्रह है इसकी भौतिक स्थिति के अंर्तगत यह आकाश में सबसे ज्यादा चमकदार ग्रह है ! यह लगभग पृथ्वी के बराबर है ! सौर-मंडल का दूसरे नंबर का सदस्य है ! सूर्य की परिक्रमा 225 दिनों में पूरी करता है ! इसका कोई उपग्रह नहीं है ! अत्यधिक गर्म होने के कारण इस पर जीवन की कोई संभावना नहीं है !
- पृथ्वी(अर्थ)- यह नीले ग्रह के नाम से जाने जाना वाला अनूठा ग्रह है इस पर समस्त लक्षण पाये जाते हैं ! यह सौर परिवार का तीसरा सदस्य है ! पृथ्वी अपनी परिक्रमा 365 दिन 5 घण्टे 48 मिनिट 46 सेकेण्ड में पूरा करती है इसका एकमात्र उपग्रह चंद्रमा है !
- मंगल(मार्स)- यह एक ग्रह है इसे लाल तांबे के रंग का ग्रह है ! यह सौर परिवार का चौथा सदस्य है ! मंगल सूर्य की परिक्रमा 687 दिनों में पूरी करता है ! मंगल ग्रह पर जीवन की संभावना हेतु वैज्ञानिकों के प्रयास नियंतर जारी है !
- बृहस्पति(जूपिटर)- यह एक पीले रंग का ग्रह है तथा सभी ग्रहों में आकृति में बड़ा है ! यह सौर परिवार का पांचवे नंबर का सदस्य है ! यह सूर्य की परिक्रमा लगभग 11 वर्ष 9 माह में पूरी करता है ! इसपर जीवन की कोई संभावना नहीं है !
- शनि(सैटर्न)- यह भी एक सौरमण्डल का एक ग्रह है यह सौरमंडल में बृहस्पति के बाद दूसरा बड़ा ग्रह है यह सबसे सुन्दर दिखार्इ देने वाला वलयधारी ग्रह है यह सौर परिवार के छंठवे सदस्य के रूप में जाना जाता है ! यह लगभग 29 वर्ष 5 माह में अपनी परिक्रमा पूरी करता है ! यह ग्रह अत्यिधिक ठंडा है इसलिए इस ग्रह पर जीवन होने की संभावना नहीं है !
- अरुण(यूरेनस)- यह शनि से छोटा ग्रह है ! इसके आसपास भी वलय(चक्र) का पता चला है यह सौर परिवार का सांतवा सदस्य और सूर्य से अधिक दूरी पर है ! यह 84 वर्षों में अपनी परिक्रमा पूरी करता है ! यह भी अत्यंत ठंडा होने के कारण इस पर भी जीवन के कोई संकेत नहीं पाये गये !
- वरुण(नेपच्यून)- यह आकार में यूरेनस से छोटा ग्रह है ! व सूर्य से अत्यधिक दूरी पर स्थित है यह सौर मंडल का आठवां सदस्य है ! इसे सूर्य की एक परिक्रमा में 164 वर्ष लगते हैं ! यह भी यूरेनस की भांति अत्यधिक ठंडा है और अंधकार से भरा है ! इस पर जीवन की कोई संभावना नहीं है !
- चन्द्रमा(मून)- यह एक उपग्रह है यह पृथ्वी का प्राकृतिक उपग्रह है ! यह आकार में पृथ्वी का 1/4 भाग के बराबर है पृथ्वी से इसकी औसत दूरी 3लाख 84 हजार कि.मी. है !
24 अगस्त 2006 को अंतर्राष्ट्रीय खगोल विज्ञान परिषद द्वारा पारित प्रस्ताव अनुसार प्लूटो अब ग्रह के श्रेहणी में नहीं आता है अत: उसे ग्रहों में नहीं गिना जाना है !
ग्रह- निश्चित कक्षाओं पर सूर्य की परिक्रमा करने वाले आकाशीय पिण्डों को ग्रह कहते हैं !
कक्षा- आकाश में जिस मार्ग से ग्रह सूर्य की तथा उपग्रह ग्रह की परिक्रमा करते हैं उसे ग्रह पथ या कक्षा कहते हैं !
घूर्णन- ग्रहों का अपनी धूरी या अक्ष पर घूमना घूर्णन कहलाता है !
अक्ष- ग्रहों के दोनों ध्रुवों को अपने केंद्र से एक सीध में मिलाने वाली काल्पनिक रेखा को अक्ष कहते हैं !
सूर्य का व्यास चन्द्रमा के व्यास से 400 गुना अधिक बड़ा है किन्तु चन्द्रमा की तुलना में पृथ्वी से सूर्य 400 गुना अधिक दूर है ! इसीलिए दोनों का आकार आकाश में समान दिखाई देता है ! वास्तविकता यह है कि आकाश में छोटे-छोटे पिण्ड निकट होने से आकार में बड़े दिखाई देते हैं जबकि बड़े-बड़े पिण्ड दूर होने के कारण आकार में छोटे दिखाई देते हैं !
उपग्रह- ऐसे आकाशीय पिण्ड जो ग्रहों की परिक्रमा करते हैं ! उपग्रह कहलाते हैं ! उपग्रह भी सूर्य से प्रकाश और ऊष्मा प्राप्त करते हैं ! बुध और शुक्र को छोड़ सभी ग्रहों के अपने-अपने उपग्रह है ! चन्द्रमा हमारी पृथ्वी का एकमात्र प्राकृतिक उपग्रह है ! प्राकृतिक उपग्रह के अतिरिक्त कुछ उपग्रह ऐसे भी हैं जो मानव द्वारा बनाये गये हैं ! उन्हें कृत्रिम उपग्रह कहते हैं ! भारतीय वैज्ञानिकों द्वारा कुछ कृत्रिम उपग्रह अंतरिक्ष में छोड़े गये हैं ! उनमें सबसे पहला उपग्रह आर्यभट्ट, भास्कर, रोहणी, एप्पल आदि महत्वपूर्ण उपग्रह हैं ! इनके सूचना तंत्र का उपयोग मौसम की भविष्यवाणी, दूरदर्शन प्रसारण, रेडियो प्रसारण, संचार व्यवस्था, कृषि को उन्नत बनाने हेतु जानकारी का प्रसारण, खनिज संबंधी जानकारी प्रसारण आदि में किया जाता है !
क्षुद्र ग्रह- सौरमण्डल के चित्र में देखिये मंगल और बृहस्पति के बीच छोटे-बड़े असंख्य पिण्डों की पट्टी फैली हुई है ! इन्हें क्षुद्र ग्रह कहते हैं ! ये ठोस पिण्ड विभिन्न आकारों के होते हैं !
उल्काएं- कभी-कभी रात में तारों के बीच अचानक क्षण-भर के लिए तेज चमकदार लकीर सी दिखाई देती हैं जिन्हें बोल-चाल की भाषा में तारों का टूटना कहते हैं ! वास्तव में ये ऐसे छोटे-छोटे भटकते हुए उल्का पिण्ड हैं जो कभी-कभी पृथ्वी के गुरुत्वाकर्षण में आकर वायूमण्डल के घर्षण से जल उठते हैं !
धूमकेतु- इन्हें पुच्छल तारे भी कहते हैं ! धूमकेतु सिर और लंबी पूँछ वाले ऐसे आकाशीय पिण्ड है, जिनका दिखने का समय और दिशा अनिश्चित होती है ! परिक्रमा करते हुए जब ये सूर्य के निकट से गुजरते हैं तो हमें दिखाई देते हैं ! हेली नामक धूमकेतु हमारा परिचित धूमकेतु है जो नियमित रूप से प्रति 76 वर्ष में दिखाई देता है !
- उपग्रह- वे आकाशीय पिण्ड जो अपने ग्रहों की परिक्रमा करने के साथ सूर्य की परिक्रमा भी करते हैं, उपग्रह कहलाते हैं !
- क्षुद्रग्रह- मंगल और बृहस्पति ग्रहों के बीच संकरी पट्टी में छितराए हुये छोटे-छोटे आकाशीय पिण्डों को क्षुद्रग्रह कहते हैं !
- चन्द्रमा- हमारी पृथ्वी का एकमात्र उपग्रह चन्द्रमा है !
- धूमकेतु- ऐसे प्रकाशमान आकाशीय पिण्ड जिनके सिर और लंबी पूंछ होती है तथा वे सूर्य की परिक्रमा भी करते हैं, पुच्छल तारे या धूमकेतु कहलाते हैं !
- कृत्रिम उपग्रह- मनुष्य द्वारा निर्मित छोटे और अस्थाई उपग्रह !
पृथ्वी-अनोखा जीवित ग्रह
हमारी पृथ्वी सौरमण्डल का एक महत्वपूर्ण सदस्य है ! यह सूर्य की एक परिक्रमा 365 दिन 5 घंटे और 48 मिनिट और 46 सेंकड में पूरी करती है जो इसका एक सौर वर्ष कहलाता है ! प्राचीन काल में अधिकांश लोगों की यह धारणा थी कि पृथ्वी का धरातल चपटा और वृत्ताकार है ! सर्वप्रथम पाइथागोरस और अरस्तु ने यह बताया कि पृथ्वी गोलाकार है और आकाश में स्वतंत्र रूप से घूम रही है ! भारतीय विद्वान आर्य भट्ट और वराहमिहिर ने भी पृथ्वी को गोलाकार बताया ! आर्यभट्ट ने यहां तक लिखा कि पृथ्वी आकाश में अपने अक्ष पर घूमती है ! गतिमान पृथ्वी ने नक्षत्र- तारे भी उल्टी दिशा में जाते हुए दिखाई देते हैं !
आकार में हमारी पृथ्वी सौरमण्डल का पांचवा सबसे बड़ा ग्रह है ! बुध, शुक्र और मंगल इससे छोटे तथा अरुण, वरुण, शनि और बृहस्पति इससे बड़े ग्रह है !
सही-सही माप के बाद पता चला कि पृथ्वी एकदम गोल नहीं बल्कि ध्रुवों पर कुछ चपटी है ! अंतरिक्ष से देखने पर हमारी पृथ्वी का आकार गोल दिखाई देता है !
- पृथ्वी सौरमण्डल का पांचवा सबसे बड़ा ग्रह है !
- सूर्य से दूरी के क्रम बुध तथा शुक्र के बाद पृथ्वी का स्थान तीसरा है !
- सूर्य की परिक्रमा की अवधि 365 दिन 5 घण्टे 48 मिनिट 46 सेकंड है !
- पृथ्वी का अपने अक्ष पर घूर्णन का समय 23 घंटे 56 मिनिट 4 सेकंड !
जीवित ग्रह- अभी तक हुई खोजों के अनुसार सौरमण्डल ही नहीं बल्कि पूरे ब्रह्मांड में केवल हमारी पृथ्वी ही एक मात्र ऐसा ग्रह है जिस पर जीवन पाया जाता है इसीलिए इसे जीवित ग्रह कहते हैं ! आइए जाने वे कौने-कौने से कारण हैं जिनके कारण केवल पृथ्वी पर ही जीवन का विकास संभव हुआ है!
- सूर्य से पृथ्वी की दूरी- सौरमण्डल में केवल पृथ्वी की ही ऐसी स्थिति है जो न तो सूर्य के अधिक पास है न अधिक दूर ! इसलिए यह न अत्यधिक गर्म है न अत्यधिक ठंडी ! इसका औसत तापमान 15डिग्री सेल्सियस रहता है ! इसमें थोड़ी-सी घट-बढ़ होती रहती है जिससे यहां जल ठोस, तरल और गैसीय अवस्था में मिलता है ! यहाँ जल की उपलव्धता से जीवन का विकास हुआ है !
- ऑक्सीजन गैस की उपलब्धता- यहां जीवनदायिनी गैस आक्सीजन पर्याप्त मात्रा में पाई जाती है जो किसी भी प्रकार के जीवन के लिए आवश्यक है ! आक्सीजन के अलावा यहां नाइट्रोजन और कार्बन डाईआक्साइड भी पर्याप्त मात्रा में वायुमंडल में विद्यमान है !
- जीवनरक्षक गैस ओजोन- वायुमण्डल में स्थित ओजोन गैस की परत सूर्य की पराबैंगनी जैसी घातक किरणों से हमारी रक्षा करती है ! ओजोन परत नहीं होती तो सारे जीव और वनस्पति नष्ट हो जाते !
- पृथ्वी पर तीन परिमण्डलों का होना- पृथ्वी पर वायुमण्डल, जलमंडल और स्थलमंडल का विस्तार है ! तीनों का आपस में उचित सन्तुलन बना हुआ है ! तीनों परिमण्डल के बारे में अधिक जानकारी आगे के अध्याय में दी गई है !
इसके अलावा पृथ्वी पर 12-12 घण्टे वाली दिन-रात की आदर्श अवधि भी यहाँ जीवन के विकास में अनुकूल दशाएं प्रस्तुत करती है !
इन्हीं कारणों से हमारी पृथ्वी पर विभिन्न प्रकार के जीव-जन्तु एवं वनस्पतियाँ पाई जाती हैं इसलिए पृथ्वी को एक जीवित ग्रह कहा गया है !
चन्द्रमा- चन्द्रमा हमारी पृथ्वी का प्राकृतिक उपग्रह है ! रात में आसमान पर दिखने वाले समस्त आकाशीय पिण्डों में चन्द्रमा सबसे बड़ा नजर आता है ! क्योंकि अन्य पिण्डों की तुलना में वह पृथ्वी के अधिक निकट है ! अपने अक्ष पर चन्द्रमा लगभग 27 दिन 7 घंटे में एक बार घूम जाता है ! और इतने ही दिनों में पृथ्वी की एक परिक्रमा भी पूरी कर लेता है ! यह पहला आकाशीय पिण्ड है जिसके धरातल पर मनुष्य के चरण पड़े !
हम प्रतिदिन चन्द्रमा के प्रकाशित भाग को घटता-बढ़ता देखते है ! जिन 15 दिन की अवधि में यह घटता है उसे कृष्ण पक्ष और दूसरी 15 दिन की अवधि में यह क्रमश: बढ़ता है उसे शुक्ल पक्ष कहते हैं ! जिस रात यह पूरा दिखई देता है उसे पूर्णिमा कहते हैं तथा जिस दिन इसका प्रकाशित भाग बिल्कुल दिखाई नहीं देता उसे अमावस्या कहते हैं ! पृथ्वी से चन्द्रमा की औसत दूरी 3 लाख 84 हजार किलोमीटर है ! यह पृथ्वी से चार गुना छोटा है ! यह सूर्य से प्रकाशित होता है !
तारे- बादल रहित रात में हमें असंख्य तारे आसमान में झिलमिलाते हुई दिखाई देते हैं ! सौर मण्डल से बहुत दूर ऐसे आकाशीय पिण्ड जिनका अपना प्रकाश और ऊर्जा होती है, तारे कहलते हैं ! इनकी दूरिया प्रकाश वर्षों में मापी जाती है !
प्रकाश वर्ष - प्रकाश वर्ष वह है जिसे प्रकाश तीन लाख किलामीटर प्रति सेकण्ड के वेग से एक वर्ष में तय करता है ! हमारा निकटतम तारा प्राक्सिमा सेन्चुरी हमसे 41/3 प्रकाश वर्ष दूर है !
सूर्य भी एक तारा है जिसका अपना प्रकाश और अपनी ऊर्जा है आकाश के कुछ तारे तो हमारे सूर्य से भी कई गुना बड़े है ! लेकिन सूर्य की तुलना में वे वे इतने अधिक दूर है कि केवल टिमटिमाते हुए दिखते हैं ! जबकि ग्रह आकाश में अपना स्थान परिवर्तित करते रहते हैं !
तारे व ग्रह में अंतर - तारे स्वयं प्रकाशवान होते हैं जबकि ग्रहों का स्वयं का प्रकाश नहीं होता है ! तारों की चमक स्थिर नहीं होती है, कम ज्यादा होती रहती है जबकि ग्रहों की चमक एक जैसी रहती है, तारे स्थिर होते हैं, जबकि ग्रह आकाश में अपना स्थान परिवर्तित करते रहते हैं !
आकाश गंगा - स्वच्छ रात्रि में तारों के बीच बादलों जैसी एक दूधिया पट्टी दिखाई देती है ! वास्तव में वह बादल नहीं अपितु असंख्य तारों के समूह हैं ! जिसे आकाश गंगा कहते हैं ! असमें हमारे सूर्य जैसे अरबों तारे हैं ! हमारा सूर्य आकाश गंगा के एक डोर पर स्थित है !
ब्रह्माण्ड - सारे पदार्थों और सारी आकाश गंगाओं और सारी ऊर्जा जिस अन्तहीन आकाश में व्याप्त है उसे ब्रह्माण्ड कहते हैं ! इस प्रकारी ब्रह्माण्ड अनन्त है !